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दूध खरीद का होगा डिजिटलीकरण: CM

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  • हिमाचल सरकार पशुपालकों से दूध खरीद को डिजिटल माध्यम से करेगी संचालित
  • राज्य में 6 नए दुग्ध अभिशीतन और प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित होंगे
  • किसानों को दूध की खरीद राशि सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की जाएगी

Digital milk purchase Himachal: हिमाचल प्रदेश सरकार ने पशुपालकों के लिए एक नई पहल करते हुए दूध खरीद प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से संचालित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पशुपालन विभाग की समीक्षा बैठक में इस योजना की जानकारी दी। प्राथमिक चरण में यह योजना प्रायोगिक तौर पर 8 से 10 समितियों में लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दूध का परीक्षण व्यक्तिगत तौर पर करने और वैब व मोबाइल इंटरफेस के साथ वास्तविक समय डेटा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि दूध के कुशल परिवहन के लिए जीपीएस सक्षम रूट ट्रैकिंग प्रणाली लागू की जाएगी। इसके साथ ही हिमाचल के डेयरी उत्पादों का विशेष विपणन किया जाएगा ताकि किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य मिल सके। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने दूध खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू किया है। गाय का दूध 45 रुपए और भैंस का दूध 55 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है।

बैठक में पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार, सचिव रितेश चौहान, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, मिल्कफैड के प्रबंध निदेशक विकास सूद समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

6 नए दुग्ध अभिशीतन संयंत्र और प्रसंस्करण संयंत्र


राज्य सरकार 161.52 करोड़ रुपए की लागत से 6 नए दुग्ध अभिशीतन और प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करेगी। जिला कांगड़ा के ढगवार में एक अत्याधुनिक पूर्ण स्वचालित दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिसकी प्रतिदिन 1.50 लाख लीटर दूध प्रसंस्करण क्षमता होगी और इसे बढ़ाकर 3 लाख लीटर किया जाएगा। यह संयंत्र मार्च तक क्रियाशील हो जाएगा, जिससे कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर और अन्य जिलों के दुग्ध उत्पादकों को लाभ होगा।

दूध खरीद राशि सीधे खातों में


दूध खरीद की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। इसके अलावा, दूध संग्रहण डेटा, मात्रा, गुणवत्ता और मूल्य निर्धारण का विवरण एसएमएस के माध्यम से उपलब्ध करवाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस डिजिटलीकरण से प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और किसानों को अधिकतम लाभ मिलेगा।